पीरियड हेल्थ: हर महिला के लिए सम्पूर्ण मार्गदर्शिका
पीरियड हेल्थ: हर महिला के लिए सम्पूर्ण मार्गदर्शिका
पीरियड हेल्थ: हर महीने महिलाओं के जीवन में आने वाला मासिक धर्म (पीरियड्स) एक सामान्य, प्राकृतिक और जरूरी जैविक प्रक्रिया है। फिर भी, भारत में आज भी पीरियड हेल्थ और स्वच्छता को लेकर कई भ्रांतियाँ, झिझक और जागरूकता की कमी देखने को मिलती है।
मासिक धर्म (पीरियड्स) क्या है?
मासिक धर्म महिलाओं के शरीर में होने वाला एक चक्रीय (साइक्लिकल) बदलाव है, जिसमें गर्भाशय की अंदरूनी परत हर महीने टूटकर रक्त के रूप में योनि से बाहर निकलती है। यह प्रक्रिया आमतौर पर 12 से 15 वर्ष की उम्र में शुरू होती है और रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) तक चलती है।


पीरियड हेल्थ और स्वच्छता क्यों जरूरी है?
- संक्रमण से बचाव: पीरियड्स के दौरान उचित स्वच्छता न रखने से यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, फंगल इंफेक्शन, पैल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- बदबू और असहजता से राहत: साफ-सुथरे सैनिटरी प्रोडक्ट्स और कपड़े इस्तेमाल करने से बदबू, चकत्ते और खुजली की समस्या नहीं होती।
- मानसिक स्वास्थ्य: पीरियड्स के दौरान मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन और थकान आम हैं। सही खानपान, पर्याप्त नींद और हल्का व्यायाम मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: स्वच्छता का ध्यान रखने से महिलाएं बिना झिझक अपने सभी कार्य कर सकती हैं

पीरियड्स के दौरान स्वच्छता के जरूरी उपाय
- सैनिटरी पैड, टैम्पोन या मेंस्ट्रुअल कप का सही इस्तेमाल करें। हर 4-6 घंटे में इन्हें बदलना चाहिए।
- निजी अंगों की सफाई साफ पानी से करें। साबुन का सीमित उपयोग करें, ताकि संक्रमण का खतरा न बढ़े।
- हर बार सैनिटरी प्रोडक्ट बदलने से पहले और बाद में हाथ अच्छी तरह धोएं।
- इस्तेमाल किए गए पैड या टैम्पोन को सही तरीके से डिस्पोज़ करें, कभी भी फ्लश न करें।
- साफ और सूखे कपड़े पहनें, अंडरवियर रोज़ बदलें।
- मासिक धर्म के दौरान हल्का और पौष्टिक भोजन लें, खूब पानी पिएं।
- हल्का व्यायाम और पूरी नींद लें, इससे शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं

भारत में पीरियड हेल्थ की स्थिति
हाल के वर्षों में भारत में पीरियड हेल्थ और स्वच्छता को लेकर जागरूकता बढ़ी है, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी हैं।
- ग्रामीण इलाकों में लगभग 27% युवा महिलाएँ अस्वच्छ साधनों का उपयोग करती हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- शहरी क्षेत्रों में यह प्रतिशत 10% है, लेकिन कई राज्यों में स्वच्छ सैनिटरी उत्पादों की पहुँच अभी भी सीमित है।
- सरकार और कई संस्थाएँ सस्ती सैनिटरी नैपकिन, मेंस्ट्रुअल कप और जागरूकता अभियान चला रही हैं, जिससे स्थिति में सुधार हो रहा है।

पीरियड्स से जुड़े मिथक और सच्चाई
समाज में पीरियड्स को लेकर कई मिथक हैं, जैसे इस दौरान पूजा या रसोई में नहीं जाना चाहिए,
खाना नहीं बनाना चाहिए या किसी को छूना नहीं चाहिए।
ये सभी भ्रांतियाँ हैं और इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

पीरियड हेल्थ को लेकर क्या बदलाव जरूरी हैं?
- शिक्षा और जागरूकता: किशोरियों को 9-10 साल की उम्र से ही मासिक धर्म,
- स्वच्छता और इससे जुड़े बदलावों की सही जानकारी देना चाहिए।
- सुलभ सैनिटरी उत्पाद: हर वर्ग की महिलाओं को किफायती और सुरक्षित सैनिटरी उत्पाद उपलब्ध कराने की जरूरत है।
- साफ-सुथरे टॉयलेट और डिस्पोजल सिस्टम: स्कूल, कॉलेज, ऑफिस और सार्वजनिक स्थानों पर साफ टॉयलेट और सैनिटरी वेस्ट डिस्पोजल की सुविधा होनी चाहिए।
- मिथकों को तोड़ना: परिवार और समाज को मिलकर पीरियड्स से जुड़े मिथकों को दूर करना चाहिए।