मुंबई मोनोरेल पावर सप्लाई समस्या में फंसी, भारी बारिश के बीच 582 यात्री सुरक्षित बचाए गए
मंगलवार शाम मुंबई में भारी बारिश के दौरान मोनोरेल को बिजली की सप्लाई में तकनीकी खराबी का सामना करना पड़ा, जिससे मयसोर कॉलोनी के पास ट्रेन लगभग तीन घंटे से अधिक समय तक फंसी रही और कई यात्री मुश्किल में पड़ गए।
घटना का विवरण और बचाव कार्य
चार कोच वाली मोनोरेल ट्रेन मयसोर कॉलोनी के पास एक मोड़ पर कुछ फीट की ऊंचाई पर फंसी हुई थी। पहले बचाव दल ने दूसरी मोनोरेल की मदद से ट्रेन को खींचने की कोशिश की, लेकिन ट्रेन के ब्रेक फंस गए थे, जिससे वह हिल नहीं पाई। इसके बाद क्रेन, ट्रक-माउंटेड स्किसर लिफ्ट और सीढ़ियों का इस्तेमाल करके यात्रियों को सुरक्षित निकालने का काम शुरू किया गया।
रात 9:50 बजे तक सभी 582 यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया। एक यात्री को अस्पताल में भर्ती कराया गया। चार बसों का इंतजाम किया गया ताकि बचाए गए यात्री अपने गंतव्य तक पहुंच सकें।
एक अन्य मोनोरेल ट्रेन वडाला के पास फंसी थी, जिसे निकाला गया और उसमें सवार 200 यात्री सुरक्षित थे।
बिजली की आपूर्ति बंद होने का कारण
मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी के संयुक्त आयुक्त अस्तिक पांडे ने बताया कि ट्रेन तय क्षमता (109 मेट्रिक टन) से अधिक भीड़ भाड़ के कारण अधिक लोड हो गई थी। इस अधिक भार के कारण मोड़ के पास बिजली की आपूर्ति में तकनीकी टूट-फूट हुई और सुरक्षा तंत्र के तहत आपातकालीन ब्रेक लग गया, जिससे ट्रेन रुक गई।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इस घटना की जांच कराई जाएगी।
महा मुंबई मेट्रो ऑपरेशन कॉर्पोरेशन ने बयान जारी कर कहा कि यह एक छोटी पावर सप्लाई समस्या थी, और उनका संचालन एवं मेंटेनेंस दल साइट पर काम कर रहा है। प्रभावित मार्ग के बीच में सेवाएं एकल लाइन पर संचालित हो रही हैं। उन्होंने यात्रियों के धैर्य के लिए धन्यवाद दिया और सुरक्षा को प्राथमिकता बताया।
मुंबई के अन्य परिवहन पर प्रभाव
इस घटना के साथ-साथ मुंबई में भारी बारिश के कारण स्थानीय रेलवे की सेवाएं भी बाधित हुईं। मुख्य और हार्बर लाइन के कई हिस्से जलमग्न हो गए, कुछ जगहों पर पानी की ऊंचाई 17 इंच तक पहुंच गई। सेवाएं घंटों बाद बहाल हुईं।
मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी उड़ानें प्रभावित हुईं, जहां औसतन 40 मिनट की देरी दर्ज की गई। दिन भर में आठ फ्लाइट्स को गो-अराउंड करना पड़ा और तीन उड़ानों को अन्य हवाईअड्डों पर डायवर्ट किया गया।
यह घटना मुंबई के मॉनसून सीजन में होने वाली परिवहन संबंधी चुनौतियों को दर्शाती है, जिसके कारण यात्रियों को भारी परेशानी होती है और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर व आपातकालीन तैयारियों की जरूरत बढ़ जाती है।
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