“Preventive healthcare: प्रिवेंटिव हेल्थकेयर से बीमारी को कहें अलविदा”
“Preventive healthcare: प्रिवेंटिव हेल्थकेयर से बीमारी को कहें अलविदा”
Preventive healthcare: “जानिए प्रिवेंटिव हेल्थकेयर के प्रकार, फायदे और भारत में इसकी बढ़ती जरूरत। जानें कैसे नियमित जांच, हेल्थ इंश्योरेंस और सरकारी योजनाएं आपको और आपके परिवार को गंभीर बीमारियों से बचा सकती हैं।”
Preventive healthcare: प्रिवेंटिव हेल्थकेयर

आज के समय में बीमारियों का इलाज कराने से बेहतर है, उन्हें होने से पहले ही रोकना।
यही सोच प्रिवेंटिव हेल्थकेयर की नींव है। प्रिवेंटिव हेल्थकेयर का मतलब है—ऐसे कदम उठाना,
जिससे बीमारियां होने से पहले ही पहचान ली जाएं या उनसे बचाव हो सके।
प्रिवेंटिव हेल्थकेयर के प्रकार
प्राथमिक रोकथाम (Primary Prevention): इसमें टीकाकरण, सही खानपान, व्यायाम और हेल्दी
लाइफस्टाइल शामिल है, जिससे बीमारियां होने की संभावना कम होती है।
द्वितीयक रोकथाम (Secondary Prevention): इसमें समय-समय पर हेल्थ स्क्रीनिंग और जांचें आती हैं, जिससे बीमारियों का पता शुरुआती स्तर पर चल जाता है।
तृतीयक रोकथाम (Tertiary Prevention): जिनको पहले से कोई बीमारी है, उनके लिए फिजियोथेरेपी या लाइफस्टाइल मैनेजमेंट, जिससे बीमारी की जटिलताएं कम हों।
प्रिवेंटिव हेल्थकेयर के फायदे
समय से पहले बीमारी की पहचान: नियमित हेल्थ चेकअप से डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज जैसी बीमारियों का पता जल्दी लग जाता है, जिससे इलाज आसान हो जाता है।
मेडिकल खर्च में बचत: इलाज की तुलना में रोकथाम के उपाय कम खर्चीले होते हैं, और कई हेल्थ इंश्योरेंस प्लान्स में प्रिवेंटिव चेकअप की सुविधा भी मिलती है।
लंबे समय तक स्वस्थ जीवन: प्रिवेंटिव केयर से न सिर्फ बीमारियों से बचाव होता है, बल्कि जीवन भी लंबा
और स्वस्थ रहता है।
इनकम टैक्स में छूट: सेक्शन 80डी के तहत, प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप पर 5,000 रुपये तक की टैक्स
कटौती का लाभ भी मिलता है।
वर्कप्लेस पर उत्पादकता में वृद्धि: कंपनियों द्वारा प्रिवेंटिव हेल्थकेयर अपनाने से कर्मचारियों की सेहत और
उत्पादकता दोनों में सुधार आता है।
भारत में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर की बढ़ती जरूरत

भारत में नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज़ (जैसे डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कैंसर) के मामले तेजी
से बढ़ रहे हैं, जो कुल मौतों का लगभग 60% हैं। शहरी जीवनशैली, बढ़ता तनाव और खराब
खानपान इसकी मुख्य वजहें हैं।
सरकारी और निजी पहल
आयुष्मान भारत: 1.5 लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स के माध्यम से प्रिवेंटिव केयर को बढ़ावा।
फिट इंडिया मूवमेंट: लोगों को रोज़ाना व्यायाम के लिए प्रेरित करना।
कॉर्पोरेट वेलनेस प्रोग्राम्स: कंपनियों द्वारा हेल्थ कैंप, वेलनेस कोचिंग और मेंटल हेल्थ सपोर्ट।
क्यों जरूरी है प्रिवेंटिव हेल्थकेयर?
बीमारियों की शुरुआती पहचान: समय-समय पर जांच करवाने से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कैंसर जैसी बीमारियों का पता शुरुआती स्तर पर चल सकता है, जिससे इलाज आसान और सस्ता हो जाता है।
स्वास्थ्य खर्च में बचत: इलाज की तुलना में रोकथाम के उपाय कम खर्चीले होते हैं। इससे अस्पताल के भारी-भरकम बिल से बचा जा सकता है।
लंबी उम्र और बेहतर जीवन: स्वस्थ आदतें अपनाने से न सिर्फ बीमारियां दूर रहती हैं, बल्कि जीवन भी लंबा और ऊर्जावान बनता है।
कार्य क्षमता में वृद्धि: जब आप स्वस्थ रहते हैं, तो काम में ध्यान और उत्पादकता भी बढ़ती है।
प्रिवेंटिव हेल्थकेयर को अपनाकर आप न सिर्फ खुद को, बल्कि अपने परिवार और समाज को भी स्वस्थ रख सकते हैं।
आज ही नियमित जांच, हेल्दी लाइफस्टाइल और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं—क्योंकि रोकथाम इलाज से बेहतर है!