NEET-PG 2025: नई आंसर की खुलासा प्रणाली के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
देशभर के NEET-PG 2025 अभ्यर्थियों ने राष्ट्रीय चिकित्सा परीक्षा बोर्ड (NBEMS) की ओर से आंसर की और रिस्पॉन्स डिस्क्लोजर के नए मैकेनिज्म को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उम्मीदवारों का दावा है कि हाल में लागू की गई “Question ID Number” आधारित खुलासा प्रणाली पारदर्शिता के विपरीत एवं समझ से परे है, जिससे वे अपने जवाब सत्यापित नहीं कर सकते।
क्या है नई खुलासा प्रणाली?
NBEMS द्वारा 21 अगस्त को जारी ‘सुधारात्मक नोटिस’ के तहत, अब उम्मीदवारों को केवल “Question ID Numbers” के माध्यम से उनके रिस्पॉन्स और आंसर की दिखाए जाएंगे।
जबकि असल परीक्षा में सभी उम्मीदवारों के प्रश्न और विकल्पों की क्रम-व्यवस्था अलग-अलग होती है, इससे अभ्यर्थियों को यह नहीं पता चल पाएगा कि उन्होंने किस क्रम में और क्या उत्तर दिया।
उम्मीदवारों की मुख्य आपत्तियाँ
याचिका में मेडिकल स्नातकों ने कहा है कि यह व्यवस्था पारदर्शिता के उद्देश्य को असफल कर देती है, जिससे अभ्यर्थी न तो अपने उत्तर क्रॉस-चेक कर सकते हैं और न ही उसमें आई गड़बड़ी पर आपत्ति जता सकते हैं।
- याचिका के अनुसार, “Question ID-Only” सिस्टम गैर-पारदर्शी और अमान्य है, जिससे निष्पक्ष एडमिशन प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के अधिकारों का उल्लंघन भी माना गया है।

याचिका में क्या मांगें की गई हैं?
अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि आंसर की डिस्क्लोजर में निम्नलिखित जानकारी सम्मिलित की जाए:
- परीक्षार्थी द्वारा देखे गए रियल प्रश्नों का क्रमवार विवरण
- परीक्षार्थी के उत्तर
- ऑफिसियल सही जवाब
- दिये गये मार्क्स की सूचना
साथ ही याचिका में कहा गया है कि यह फॉर्मेट अन्य प्रमुख परीक्षाओं जैसे IIT-JEE, CLAT, AIIMS INI-CET आदि में भी फॉलो होता है।
निष्कर्ष
NEET-PG जैसे बड़े और संवेदनशील एग्ज़ाम के लिए पारदर्शी मूल्यांकन प्रक्रिया अत्यंत आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट में हुई इस याचिका से छात्रों को उनकी मेहनत का निष्पक्ष मूल्यांकन और सही जानकारी की उम्मीद है।